"अखण्ड भारत के निर्माता" भारत के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट "चन्द्रगुप्त मौर्य" से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियाँ....✍🏻

"अखण्ड भारत के निर्माता"
 भारत के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट "चन्द्रगुप्त मौर्य" से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारियाँ....✍🏻

🖊 पालि तिपिटक (त्रिपिटक) में उल्लेखित "पिप्पलिवन का मोरिय" गणराज्य ही आगे चलकर मौर्य साम्राज्य हुआ. मोरिय-वंस (मौर्य-वंश) के महाराजा चन्द्रवर्धन और महारानी धम्ममोरिया के पुत्र चन्द्रगुप्त मौर्य हुए जिन्होंने भारत के बिखरे हुए छोटे -छोटे राज्यों को इकट्ठा कर एकता के सूत्र में पिरोया और बिखरे हुए भारत को अखण्ड भारत -अजेय भारत बनाया और अखण्ड भारत के एकच्छत्र सम्राट, चक्रवर्ती सम्राट कहलाये. और मोरिय साम्राज्य (मौर्य सम्राज्य) के संस्थापक हुए. मौर्यों के काल में ही अखण्ड भारत को "सोने की चिड़िया" कहा जाता था. मेगस्थनीज ने लिखा है कि प्रजा सुखी और समृद्ध थी, चोरी नहीं होती थी इसलिए लोग घरों में ताले ही नहीं लगाते थे. तिपिटक के दीघ निकाय के महापरिनिब्बान सुत्त के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य के पूर्वज भी बुद्ध धम्म के परम अनुयायी थे, तभी साक्यमुनि भगवान बुद्ध के महापरिनिब्बान (मृत्यु) के बाद पिप्पलिवन के मोरिय (मौर्य) भी बुद्ध की अस्थियों के लिए पहुँचते हैं ताकि उन अस्थि -धातुओं पर स्तूप बनवाकर पूजा कर सके।

1) मौर्य साम्राज्य के संस्थापक ~ चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य
2) पालि बौद्ध ग्रंथों के अनुसार मोरियवंस (मौर्य-वंश) किस ऐतिहासिक वंश की उपशाखा है ~ सक्यवंस (शाक्य-वंश)। 
3) 'मौर्य' शब्द पालि भाषा के किस शब्द का संस्कृत रूपांतरण है ~ मोरिय (मोरिय शब्द मोर से बना है)।
4) 'मोरिय' शब्द का अर्थ है ~ मोरों के प्रदेश का निवासी।
5) मौर्य वंश किस वंश/कुल से संबंधित है ~ खत्तिय।
👆🏻 खत्तिय क्या है? 👇🏻👇🏻
महासम्मत/खेतों का अधिपति या /राजा।
☸️ पालि भाषा के 'खत्तिय' का संस्कृत रूपांतरण है वर्तमान क्षत्रिय शब्द। वह जो उचितानुचित का अनुसासन करता था। लोग उसे शालि (खेत) का भाग देते थे। महाजनों (अत्यधिक लोगों) द्वारा सम्मत होने से महासम्मत महासम्मत करके उसका पहला नाम 'महासम्मत' पड़ा। खेतों का अधिपति होने से खत्तिय खत्तिय करके उसका दूसरा नाम 'खत्तिय' पड़ा। धम्म (नैतिक नियमों) से दूसरों का रञ्जन करता था, अत: खत्तियों को राजा राजा करके तीसरा नाम 'राजा' पड़ा।
—स्रोत: त्रिपिटक-दीघ निकाय 
6) बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक के दीघ निकाय के "महापरिनिब्बान सुत्त" में मोरियों (मौर्यों) को पिप्पलिवन का शासक तथा खत्तिय कुल का कहा गया है।
7) जैन व बौद्ध दोनों ही साक्ष्य "मौर्यों" को मोर (Peacock) से संबंधित करते हैं, जिसे इतिहासकारों व पुरातत्वविदों ने भी विश्वसनीय माना है। इसी कारण मौर्य युग की कलाकृतियों में मोरों का प्रतिनिधित्व देखने को मिलता है। मौर्यकालीन सिक्कों पर मोर के चित्र मिलते हैं। इस मत की पुष्टि सम्राट अशोक की "लौरिया नन्दनगढ़ के स्तम्भ" के नीचे के भाग में उत्कीर्ण मोर की आकृति से भी हो जाती है।

8) सर्वप्रथम किसने बताया कि "मोर (Peacock)" मौर्यों का वंशीय/कुल चिह्न (Dynastic Emblem) था ~ ग्रुनवेडेल महोदय 
9) चन्द्रगुप्त की माता का नाम~ धम्ममोरिया
10) चन्द्रगुप्त के पिता का नाम ~ चन्द्रवर्द्धन मौर्य
11) चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म ~ 345 ईसा पूर्व, वैशाख कृष्णपक्ष अष्टमी।
12) चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म की तिथि, माता-पिता का नाम किस ग्रंथ से लिया गया है ~ सम्राट अशोक के पुत्र थेर महिन्द द्वारा रचित पालि ग्रंथ उत्तरविहारट्ठकथा से
13) मौर्य साम्राज्य की राजधानी थी ~ पाटलिपुत्र
14) पाटलिपुत्र में चन्द्रगुप्त मौर्य का महल किसका बना था ~ लकड़ी का 
15) बुलंदीबाग (जहाँ  चन्द्रगुप्त मौर्य के लकड़ी के बने विशाल भवनों के अवशेष मिले हैं) कहाँ है ~ पाटलिपुत्र में।
16) वह ग्रंथ जिसमें चन्द्रगुप्त मौर्य का विशिष्ट वर्णन है ~ विशाखदत्त का मुद्राराक्षस।
17) चन्द्रगुप्त मौर्य के यूनानी नाम —
  • सेन्ड्रोकोट्टस ~ स्ट्रैबो, एरियन, जस्टिन द्वारा
  • एेन्ड्रोकोट्टस ~ एपियन, प्लूटार्क द्वारा 
  • सेन्ड्रोकोप्टस ~ फिलार्कस द्वारा 
18) वह इतिहासकार जिसने सेन्ड्रोकोटस की पहचान चन्द्रगुप्त मौर्य से की ~ विलियम जोंस 
19) चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यरोहण की तिथि ~ 322 ईसा पूर्व (widely accepted)
20) चन्द्रगुप्त मौर्य ने कब से कब तक राज्य किया ~ 322 -298 ईसा पूर्व : 24 वर्ष (widely accepted)
21) वे ग्रंथ जिनमें चन्द्रगुप्त मौर्य को खत्तिय (क्षत्रिय) वंश/कुल का बताया गया है ~ बौद्ध एवं जैन ग्रंथ।
22) किस यूनानी इतिहासकार ने चन्द्रगुप्त मौर्य और सिकन्दर के भेंट का उल्लेख किया है ~जस्टिन 
23) सर्वप्रथम भारतीय साम्राज्य किसने स्थापित किया ~ चन्द्रगुप्त मौर्य 
24) चंद्रगुप्त मौर्य ने 305 ईसा पूर्व में किसे हराया ~ सेल्यूकस निकेटर (यूनानी)
25) वह राजदूत जिसे सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था ~ मेगास्थनीज 
26) गिरनार में सुदर्शन झील का निर्माण किस शासक ने करवाया था ~ चन्द्रगुप्त मौर्य 
27) चन्द्रगुप्त मौर्य के पूर्वज "पिप्पलिवन के मोरिय" किस धर्म के अनुयायी थे ~ बुद्घ धम्म
28) यूनानियों ने चन्द्रगुप्त मौर्य को सेंड्र्रोकोट्टस व एेन्ड्र्रोकोट्टस कहा है, इसका अर्थ क्या है ~ किले वाला पुरूष. एंड्रो-कोट्टस में दो शब्दों का मेलजोल है। एंड्रो ग्रीक का और कोट्टस प्राकृत का शब्द है। ग्रीक में एंड्रो का अर्थ पुरुष तथा प्राकृत में कोट्टस का अर्थ किले वाला होता है। एंड्रो - कोट्टस का अर्थ " किले वाला पुरुष " हुआ।
👆🏻 चन्द्रगुप्त मौर्य को यूनानियों ने "किला-पुरुष" यूँ ही नहीं कहा है। पाटलिपुत्र की किलेबंदी ऐसी कि पक्षी भी पर नहीं मार सके। किलेबंदी को देखकर मेगस्थनीज चकित थे. मेगस्थनीज ने लिखा है कि पाटलिपुत्र की किलेबंदी ऐसी कि नगर के चारों ओर मोटी लकड़ी की दीवार थी। दीवार के बीच - बीच में मोर्चे बने थे और चारों ओर 60 फीट गहरी एवं 600 फीट चौड़ी खाई थी। दीवार में 64 दरवाजे तथा 570 बुर्ज थे। Sandro अर्थात पुरुष। यह Andro का पूर्व रूप है। जो Sandro- Cottus है, वही Andro-Cottus है।

29) तिपिटक (त्रिपिटक) के दीघ निकाय के महापरिनिब्बान सुत्त के अनुसार तथागत गोतम बुद्ध के महापरिनिब्बान (मृत्यु) के बाद पिप्पलिवन के मोरिय (मौर्य) भी अस्थियों के लिए पहुँचते हैं और कहते हैं —"भगवापि खत्तियो, मयम्पि खत्तिया", मयम्पि अरहाम भगवतो सरीरानं भागं". अर्थात भगवान बुद्ध भी खत्तिय (क्षत्रिय) थे और हम भी खत्तिय हैं, भगवान की अस्थि-धातु हमलोगों को भी मिलना चाहिए. पिप्पलिवन के मोरियों (मौर्य) के पहुँचने तक बुद्ध की अस्थियों का बँटवारा हो चुका था। देर से पहुँचने के कारण पिप्पलिवन के मोरियों को अंगारों (कोयलों/राख के ढेर) से ही संतोष करना पड़ा और उन्होनें अंगारों को लेकर अपने नगर पिप्पलिवन में एक स्तूप का निर्माण करवाया था। इस स्तूप का नाम अंगार स्तूप रखा गया था। ये तो था मोरिय गण (मौर्य गणराज्य) का त्रिपिटक में उल्लेख। इससे इतना तो तय है कि शुरू से ही मोरिय (मौर्य) लोग 'साक्यमुनि भगवान बुद्ध' के परम अनुयायी थे।

👆🏻 कतिपय इतिहासकारों ने पिप्पलिवन को चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा उल्लेखित 'न्यग्रोध वन' के साथ मिलाया है। फ़ाह्यान ने यहाँ के स्तूप की स्थिति कुशीनगर से 12 योजन पश्चिम की ओर बताई है।

30) किस अभिलेख से चन्द्रगुप्त मौर्य के सौराष्ट्र विजय की पुष्टि होती है ~ रूद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से 
31) वह इतिहासकार जिसके अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य के समय भारत का वैज्ञानिक सीमा हिन्दुकुश पर्वत तक था ~ स्मिथ 
32) वह यूनानी राजदूत जिसके अनुसार भारतीय समाज सात वर्गों में विभाजित था ~ मेगास्थनीज 
33) मौर्य काल में स्वर्ण सिक्के कहलाते थे ~निष्क या सुवर्ण 
34) विधवा पुनर्विवाह का प्रचलन था ~मौर्यकालीन समाज में 
35) वह समाज जिसमें अन्तर्जातीय विवाह की प्रथा प्रचलित थी ~ मौर्य समाज 
36) वह क्षेत्र जिसमें सर्वप्रथम मौर्यकालीन पत्थर का प्रयोग किया गया ~ कला क्षेत्र 
37) मौर्ययुगीन वह कला जो चरमोत्कर्ष पर था ~काष्ठकला 
38) 'मौर्य' शब्द का सर्वप्रथम पुरातात्त्विक उल्लेख कहा आया है —लगभग 150 ईसवी में लिखित रूद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख में ['मौर्य राज्ञ: चन्द्रगुप्तस्य और अशोकस्य मौर्यस्य' अर्थात मौर्य राजा चन्द्रगुप्त और अशोक मौर्य द्वारा सुदर्शन झील का निर्माण और उसमें से छोटी-बड़ी नालियाँ बनवाने का उल्लेख है। जैसाकि बताया जा चुका है कि पालि भाषा के 'मोरिय' का संस्कृत रूपांतरण है मौर्य ]। रूद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख संस्कृत भाषा का पहला अभिलेख है, जो शक राजा रूद्रदामन द्वारा लगभग 150 ईसवी में लिखवाया गया था। दिलचस्प बात यह है कि संस्कृत का यह पहला अभिलेख (150 ईसवी) उसी चट्टान पर लिखा है जिस पर सम्राट असोक का पहले से (273-236 ईसा पूर्व) प्राकृत-पालि भाषा में लिखा हुआ अभिलेख था। संस्कृत का दूसरा लंबा अभिलेख (200 ईसवी) भी प्रयाग के उसी लाट (स्तम्भ) पर लिखा है, जिस लाट पर सम्राट अशोक का पहले से प्राकृत-पालि भाषा में लिखा हुआ स्तंभलेख है।

👆  इससे यह पुरातात्त्विक तौर पर भी 100% सिद्ध हो जाता है कि प्राकृत-पालि भाषा संस्कृत भाषा से प्राचीन है। पालि भाषा के 'मोरिय' का संस्कृत रूपांतरण है मौर्य।
 
39) किस मौर्य राजा ने दक्कन की विजय की थी ~ चन्द्रगुप्त मौर्य
40) मालवा, गुजरात व महाराष्ट्र को किस शासक ने पहली बार जीता ~ चन्द्रगुप्त मौर्य
41) वह अभिलेख जिससे यह प्रमाणित होता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रभाव पश्चिम भारत पर भी था ~ रूद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख 
42) चंद्रगुप्त मौर्य ने अपना अंतिम समय कहाँ पर बिताया ~ श्रवणबेलगोला, कर्नाटक में चन्द्रगिरि पर्वत पर "चंद्रगुप्त बस्ती" बसाया। 
43) मौर्य काल में शिक्षा का सर्वाधिक प्रसिद्ध केन्द्र था ~ तक्षशिला 
44) चन्द्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के किस राजा को हराया ~ धनानंद
45) मेगास्थनीज द्वारा लिखी पुस्तक ~ इंडिका 
46) चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस के बीच हुए युद्ध का वर्णन किसने किया है ~ एप्पियानस 
47) यूनानी विद्वान प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य के सेना में कितने सैनिक थे ~ 6 लाख सैनिक (6 लाख पैदल, 30 हजार घुड़सवार, 9 हजार हाथी, लगभग 8 हजार रथ)।
48) चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के समय उनका अधिकार था ~ पश्चिम में हिंदूकुश पर्वत से पूरब में बंगाल की खाड़ी तक तथा उत्तर में हिमालय की श्रृंखलाओं से दक्षिण में मैसूर तक।
49) सिंहली बौद्ध ग्रंथ महावंस टीका में चन्द्रगुप्त मौर्य को सकल जम्बूद्वीप का शासक कहा गया है।
50) यूनानी विद्वान जस्टिन चन्द्रगुप्त मौर्य को "सम्पूर्ण भारत" का नरेश बताता है।
51) 305 ईसा पूर्व में चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस के मध्य युद्ध हुआ जिसमें सेल्यूकस पराजित हुआ और दोनों के मध्य संधि हुई; संधि की शर्तें —
  • चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को 500 हाथी प्रदान किये।
  • सेल्यूकस ने अपनी पुत्री कार्नेलिया/हेलेना का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से किया।
  • सेल्यूकस ने अपने 4 राज्य चन्द्रगुप्त मौर्य को दिये —
• आर्कोशिया (कांधार), 
• परोपनिषदी (काबुल घाटी), 
• एरिया (हेरात), 
• जेड्रोशिया (बलूचिस्तान)
• सेल्यूकस ने मेगास्थनीज नामक एक राजदूत चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा। वह बहुत दिनों तक पाटलिपुत्र के मौर्य दरबार में रहा और इंडिका नामक पुस्तक की रचना की।
52) चन्द्रगुप्त मौर्य की पत्नी का नाम ~ दुर्धरा और हेलेना। 
53) दुर्धरा और चन्द्रगुप्त से उत्पन्न पुत्र का नाम ~बिन्दुसार मौर्य 
54) चन्द्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी कौन हुए ~ सम्राट बिन्दुसार मौर्य 
55) "ग्रांड ट्रंक रोड" किस काल में भी था ~ मौर्य काल 
56) वर्तमान नगरपालिका प्रशासन का कौन सा कार्य मौर्यकाल से जारी है ~ जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण 
57) मौर्य युग में नगरों का प्रशासन नगरपालिकाओं द्वारा चलाया जाता था, जो वर्तमान भारत में भी लागू है।
58) मौर्य साम्राज्य के दस राजाओं के नाम —
  • चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य 
  • सम्राट बिन्दुसार मौर्य 
  • चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान 
  • सम्राट कुणाल मौर्य 
  • सम्राट दशरथ मौर्य 
  • सम्राट सम्प्रति मौर्य 
  • सम्राट शालिशूक मौर्य 
  • सम्राट देववर्मन मौर्य 
  • सम्राट शतधन्वन मौर्य 
  • सम्राट बृहद्रथ मौर्य 
59) भारत का राष्ट्रीय चिह्न ~अशोक स्तम्भ शीर्ष, सारनाथ (उ. प्र.) में स्थित मौर्यकालीन अशोक स्तम्भ से।

60) भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में स्थापित चक्र ~ सारनाथ में स्थित मौर्यकालीन अशोक स्तम्भ से।
61) वीरता पुरस्कार "अशोक चक्र" दिया जाता है ~ सम्राट अशोक के स्मृति स्वरूप।
62) जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र और जनगणना की धारणा लिया गया है ~ मौर्यकाल से।
63) मौर्य साम्राज्य के तीसरे शासक सम्राट असोक ने जिस लिपि का प्रयोग अपने अभिलेखों में किया है; उसे कहा है ~धम्म लिपि, जो आज ब्राह्मी लिपि के नाम से प्रचलित है।

64) मौर्यकाल में स्त्रियाँ — मेगस्थनीज -इण्डिका FACTS
यूनानी राजदूत मेगस्थनीज, जो सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में रहकर इण्डिका नामक पुस्तक की रचना की। मेगस्थनीज के अनुसार मौर्य युग में स्त्रियों का समाज में प्रतिष्ठित स्थान था। वे उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकती थी व आवश्यकता पड़ने पर शासन भी करती थी। संकट के अवसर पर युद्ध में भी स्त्रियाँ भाग लेती थी। स्त्रियाँ गुप्तचर विभाग व राजा की अंगरक्षक सेना में भी काम करती थीं। भारत में बहु-विवाह की प्रथा प्रचलित थी। विधवा -पुनर्विवाह का प्रचलन था। दहेज की प्रथा प्रचलित नहीं थी। मौर्य युग में पर्दा प्रथा और सती प्रथा नहीं थी। दास प्रथा भी प्रचलित नहीं थी।
👆🏻मौर्यकाल में स्त्रियों को सैनिक प्रशिक्षण भी दिया जाता था, ऐसा यूनानी लेखकों ने अपनी पुस्तकों में उल्लेख किया है. मौर्यों ने 16 वर्ष की अवस्था में ही नवयुवक व नव युवतियों को सैनिक प्रशिक्षण अनिवार्य शिक्षा कर दी थी. चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में भी भारी संख्या में औरतें सेना, कमाण्डो और गुप्तचर सेना में विद्यमान थी. यहाँ तक कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी सुरक्षा के जो कमाण्डो तैयार किया था, उसमें पुरूषों के अतिरिक्त महिलाएँ भी थी, जो हथियार लेकर सुरक्षा में तैनात थी. इस बात से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि मौर्य अपनी साम्राज्य व प्रजा की सुरक्षा के लिए स्त्री और पुरुष दोनों हमेशा तत्पर रहते थे.

चन्द्रगुप्त मौर्य के पौत्र चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने स्वयं अपने एक पुत्र महिन्द व एक पुत्री संघमित्रा को भिक्खु व भिक्खुणी बनाकर श्रीलंका में धम्म प्रचार के लिए भेजा था और एक पुत्री चारूमति व अपने गुरू मोग्गलिपुत्त तिस्स के साथ नेपाल में धम्म प्रचार किया था। पुरातात्त्विक स्रोतों के अनुसार नेपाल का चारूमती स्तूप (वर्तमान नाम) सम्राट अशोक और उनकी पुत्री चारूमति द्वारा बनावाया गया था। इससे यह स्पष्ट पता चलता है कि मौर्य युग में स्त्रियों का समाज में प्रतिष्ठित स्थान था। 
65) चन्द्रगुप्त मौर्य ने गुप्तचर विभाग (खुफिया विभाग) और पुलिस विभाग की स्थापना भी की थी. गुप्तचर अधिकारियों पर भी दृष्टि रखते थे, जिससे कि भ्रष्ट अधिकारियों पर भी उचित कार्यवाही हो सके.
66) रथ सेना, अश्व सेना, गज सेना, पैदल सेना —इन चार प्रकार की सेनाओं को "चतुरंगिणी सेना" कहा जाता था. लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य के पास चतुरंगिणी सेना के अलावा भी पाँचवी प्रकार की एक सेना "जल सेना" थी. जिसे आज NAVY कहा जाता है.
67) अब तक ज्ञात इतिहास के अनुसार सम्राट अशोक ने कितने प्रकार के स्तम्भों का निर्माण करवाया था ~ 6 प्रकार के स्तम्भ
• गज स्तम्भ 
• अश्व स्तम्भ
• वृषभ (साँढ़) स्तम्भ 
• एकमुखी सिंह स्तम्भ 
• चौमुखी सिंह स्तम्भ 
• धम्म-चक्र स्तम्भ 
⚔️सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की जय हो! __________________________________
"एक बार जो निर्णय कर लो, फिर पलटकर मत देखो. क्योंकि बार -बार पलटकर देखने वाले कभी विजयी नहीं होते." 
                     ⚔️सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य⚔️

"न तो कभी निराश हो, न कभी हार मानो. उठो, खड़े हो जाओ और संघर्ष करो. जब तक विजयी न हो जाओ."
                    ⚔️सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य⚔️
__________________________________
👆🏻 "जो इतिहास बनाना चाहते हैं उन्हें अपने इतिहास को वास्तविक रूप में जानना आवश्यक है।"...✍🏻
जागरूकता के लिए अत्यधिक शेयर किजिए..✅

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